कैसे करे असली रत्नों की पहचान ?।। पंकज मिश्र ज्योतिष ।

रतनो की पहचान भी एक कला है। इसे अनुभव के साथ ही कुछ तकनीकी मानकों के जरिए किया जा सकता है। जब भी हम रत्न खरीदने जाते हैं तो यह स्वाभाविक सवाल हमारे मन में होता है कि जो रत्न हम खरीद रहे हैं, वह असली है या नकली। ऐसे में असली रत्न की पहचान के लिए विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। ज्योतिष पं पंकज मिश्र कोलकता ।

ऐसे की जाती है रत्नों की पहचान

रत्नों को उनकी रिफ्रेक्टिव इंडेक्स, स्पेसिफिक ग्रैविटी, हार्डनेस, क्लीवेज, लस्टर, प्लियोक्रोइज्म, स्पेक्ट्रम, चेल्सिया फिल्टर आदि की सहायता से पहचाना जाता है। यह पूरी तरह से वैज्ञानिक विधि है। रत्न विशेषज्ञ उपकरणों की मदद से रत्नों की गुणवत्ता क पहचान करते हैं। लैब में जांच के बाद इसके लिए प्रमाण पत्र भी जारी किए जाते हैं।

अपवर्तनांक

हम सभी ने कक्षा दसवीं में कांच की सिल्ली और प्रिज्म का अपवर्तनांक स्नेल्स लॉ की मदद से निकाला है, जिसमें कांच का अपवर्तनांक 1.5 आता था। इसी प्रकार प्रत्येक रत्न का एक रिफ्रेक्टिव इंडेक्स (आरआई) होता है। मसलन माणिक और नीलम का 1.76 और पुखराज का आरआई 1.62 होता है। आरआई पता लगाने के लिए रिफ्रेक्टोमीटर का उपयोग किया जाता है।

विशिष्ट गुरुत्व

हर रत्न का अपना विशिष्ट गुरुत्व या घनत्व होता है। इसे रत्न के वायु में वजन को #जेमस्टोन के पानी में कम हुए वजन से भाग देकर लगाया जाता है। इसके अलावा कुछ तरल पदार्थों का उपयोग भी रत्न की एसजी मालूम करने में किया जाता है। इनसे #रत्न के विशिष्ट गुरुत्व का पता लगाया जाता है। उदाहरण के लिए हीरे की एसजी 3.51 है, कोरंडम की 3.96-4.05 होती है।

रत्नों में दाग-धब्बे और दरार

जेमस्टोन की भीतरी जांच करने के लिए माइक्रोस्कोप से उसका परीक्षण किया जाता है। इससे उसमें मौजूद दाग-धब्बों या रेशों की जानकारी मिलती है। इन्हें नेचुरल इन्क्लूजंस कहा जाता है। प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रत्नों में ऐसे प्राकृतिक दाग-धब्बे पाए जाते हैं। जैसे माणिक, नीलम और पुखराज में रेशे जैसी धारियां दिखती हैं। पन्ना में दरार दिखाई देते हैं और काले रंग के धब्बे दिखते हैं। इसी प्रकार पेरीडॉट में लिलीपैड मिलते हैं।

असली और नकली रत्न

आमतौर पर लोग असली या नकली जेमस्टोन की बात करते हैं, लेकिन तकनीकी रूप से इन्हें नेचुरल, सिंथेटिक या ट्रीटेड रत्न कहते हैं। रत्नों को खदान से निकालने के बाद तराशा जाता है और बाजार में बेचा जाता है। ऐसे रत्न असली या प्राकृतिक रत्न कहलाते हैं, जो प्राकृतिक रूप से मिलते हैं। हर रत्न का रासायनिक संगठन होता है। उन पदार्थों को मिलाकर नियत दाब और तापमान पर गर्म करके कृत्रिम विधि से भी रत्न बनाए जाते हैं। इन्हें सिंथेटिक जेमस्टोन कहते हैं। इनके अलावा नेचुरल जेमस्टोन को आकर्षक बनाने के लिए उनमें कुछ ट्रीटमेंट किया जाता है। ऐसे रत्नों को ट्रीटेड स्टोन कहते हैं। यानी कि ये नेचुरल तो होते हैं पर इनके साथ कुछ छेड़खानी की गई होती है।

क्या होता है ट्रीटमेंट

कुछ प्राकृतिक रत्नों में दरारें पाई जाती हैं। इन दरारों में तेल भर दिया जाता है। यदि रंगीन रत्न है तो रंगीन तेल और पारदर्शी रत्न है, तो रंगहीन तेल का इस्तेमाल किया जाता है। इससे जेमस्टोन की खूबसूरती बढ़ जाती है। जाहिर है इससे उसकी कीमत में भी इजाफा होता है। शुद्ध नेचुरल रत्न होल सेल रेट मे ले सकते है, जयोतिष बंधुओ के लिए बिशेष सुविधा । संपर्क करे #पंडितपंकजमिश्र #ज्योतिष_कोलकाता ।

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