अकाल मृत्यु निवारक चंद्रशेखराष्टक।।

अकाल मृत्यु निवारक चंद्रशेखराष्टक।।
🌹🌹-शिव पूजा और चंद्रशेखर अष्टकम से जन्म कुंडली के मारक दोष भी टल जाते हैं।
🌹🌹-मारक दोष समाप्त करने के लिये लगातार 40 सोमवार तक चंद्रशेखर अष्टकम का पाठ करना चाहिये।

अकालमृत्यु निवारक चंद्रशेखराष्टक की रचना,….🌹🌹

महर्षि मृकुंड को जब सन्तान प्राप्ति नही हुई तो उन्होंने भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए तपस्या की । ऋषि की कठोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए । ऋषि से उन्होंने वर मांगने के लिए कहा । ऋषि मृकुंड ने सन्तान की इच्छा व्यक्त की । भगवान शिव ने कहा कि तुम्हारे भाग्य में पुत्र नही है मगर तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न होकर में तुम्हारी इच्छा पूर्ण कर रहा हूं, तुम्हारे पास दो विकल्प है जिनमे से एक तुम चुन सकते हो । एक ऐसा पुत्र जो ज्ञानी तो होगा पर मात्र 16 वर्ष की आयु तक जीवित रहेगा या एक ऐसा पुत्र जो दिर्घायु तो होगा पर अल्पज्ञ होगा । ज्ञानी ऋषि ने अल्पायु मगर ज्ञानवान पुत्र का चयन किया ।

समय गुजरा तथा उनके यहाँ एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया । बालक का नाम रखा मार्कंडेय । मार्कंडेय ने अल्पायु में ही सभी प्रकार का ज्ञान अर्जित कर लिया । वह दिन भी आ गया जिस दिन उसकी 16 वर्ष की आयु पूर्ण हो रही थी । सुबह से ही माता पिता की आँखों से आंसू थमने का नाम ही नही ले रहे थे कि आज उनका पुत्र उनसे छिन जायेगा । मार्कण्डेय ने जानना चाहा कि ऐसा क्यों हो रहा है कि उसके तत्वज्ञानी माता पिता का रुदन निरंतर जारी है । तब पिता ने उसे सब कुछ बताया । भगवान शिव का साधक मार्कण्डेय सहज भाव से उठा तथा नदी तट पर जाकर पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर अंतिम बार पूजन करने ही जा रहा था कि यमराज का आगमन हो गया । उन्होंने अपने यमपाश फेककर मार्कण्डेय को बाँध लिया तथा उसे ले जाने के लिए खीचने लगे । मार्कण्डेय ने विनती की कि ‘ हे यमराज मुझे अपनी अंतिम शिवाराधना पूर्ण कर लेने दीजिये, फिर में आपके साथ चला चलूँगा’, यमराज ने साफ इंकार कर दिया और पुन: उसे ले जाने के लिए खीचने लगे, उसी समय मार्कण्डेय ने भगवान की वंदना में एक स्तोत्र की रचना की जिसे चंद्रशेखराष्टक के नाम से जाना जाता है,………..🌹🌹🌹🌹

स्तुति समाप्त होते ही भगवान भोलेनाथ प्रकट हो गए और यमराज की छाती पर लात मारकर परे धकेल दिया, यमराज ने कहा कि ‘हे प्रभु में आपकी ही आज्ञा का पालन कर रहा था, आप ही ने इस बालक को 16 वर्ष की आयु प्रदान की थी’, भगवान शिव ने कहा कि ‘में इसे देवताओ के 16 वर्ष की आयु प्रदान करता हूं’, इस प्रकार शिव कृपा से मार्कण्डेय की अकाल मृत्यु का शमन हुआ तथा उन्हें दीर्घायु प्राप्त हुयी । तब से अकाल मृत्यु के निवारण के लिए इसे सर्वश्रेष्ठ उपाय माना जाता है ।
शिवरात्रि, श्रावण मास तथा सोमवार को इसका पाठ अकाल मृत्यु के निवारण के लिए किया जाता है । इसका पाठ स्वयं रोगी करे या फिर उसका कोई सम्बन्धी या साधक संकल्प लेकर कर सकता है यह महामृत्युंजय मंत्र के समान ही प्रभावशाली उपाय है ।

चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर पाहिमाम । चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर रक्षमाम ।।
रत्नसानुशरासनं रजतादिशृंगनिकेतनं । सिंजनीकृत पन्नगेश्वरमच्युतानन सायकम ।।
क्षिप्रदग्धपुरत्रयम त्रिदिवालयैरपिविंदतं । चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम: ।।1।।
चपादपुष्पगंधपदांबुजद्वय शोभितं । भाललोचन जातपावक द्ग्धमन्मथविग्रहम ।।
भस्मादग्धकलेवरं भवनाशनं भवमव्ययं । चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम: ।।2।।
मत्त्वारण मुख्यचर्मकृतोत्तरीय मनोहरं । पंकजासन पद्मलोचनपुजिताघ्रिसरोरुहम ।।
देवसिंधु तरंग सीकर सिक्तशुभ्र जटाधरं । चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम: ।।3।।
यक्षराजसंख भगाक्षहरं भुजंगविभूषणम । शैलराजसुतापरिष्कृत चारुवामकलेवरम ।।
क्ष्वेडनीलगलं परश्वधधारिणं मृगधारिणं । चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम: ।।4।।
कुण्डलीकृत कुण्डलेश्वर कुंडलं वृषवाहनं । नारदादि मुनीश्वरस्तुत वैभवं भुवनेश्वरं ।।
अंधकांधकमाश्रितामर पादपं शमनांतकं । चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम: ।।5।।
भेषजं भवरोगिणामखिलापदामपहारिणं । दक्ष यज्ञ विनाशनं त्रिगुणात्मकम त्रिविलोचनम ।।
भुक्तिमुक्ति फलप्रदं सकलाधसंघनिर्वहणम । चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम: ।।6।।
भक्तवत्सलमर्चित निधिमक्षयं हरिदंबरम । सर्वभूतपति परात्परमप्रमेयमनुत्तम ।।
सोमवारिद भृहुताशन सोमपानिलखाकृति । चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम: ।।7।।
विश्वसृष्टि विधायिनं पुनरेव पालन तत्परं । संहरंतमपि प्रपंचमशेषलोक निवासिनम ।।
क्रीड़यंतमहर्निशं गणनाथयूथसमन्वितम । चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम: ।।8।।
मृतयुभीत मृकुण्ड सुन कृतस्तवं शिवसन्निधौ, यत्र कुत्र च य: पठेन्नहि तस्य मृत्युभयं भवेत, पूर्णमायुररोगितामखिलार्थसंपदमादरम, चंद्रशेखर एव तस्य ददाति मुक्ति प्रयत्नत: ।।

हे चन्द्रशेखर ! हे चन्द्रशेखर ! हे चन्द्रशेखर मेरी रक्षा कीजिये हे चन्द्रशेखर ! हे चन्द्रशेखर ! हे चन्द्रशेखर मेरी रक्षा कीजिये।।१।।

कैलास के शिखर पर जिनका निवासस्थान है , जिन्होंने मेरुगिरि का धनुष , नागराज वासुकि की प्रत्यंच्चा और भगवान् विष्णु को अग्निमय बाण बना कर तत्काल ही दैत्यों के तीनों पूरों को दग्ध कर डाला था , सम्पूर्ण देवता जिनके चरणों की वंदना करते हैं , उन भगवान् चंद्रशेखर की मैं शरण लेता हूँ। यमराज मेरा क्या करेगा ? २।.

पांच दिव्य वृक्षों ( मंदार , पारिजात , संतान , कल्पवृक्ष और हरिचंदन ) के पुष्पों से सुगंधित युगल चरणकमल जिनको शोभा बढ़ाते हैं, जिन्होंने अपने ललाटवर्ती नेत्र से प्रकट हुई आग की ज्वाला में कामदेव के शरीर को भस्म कर डाला था , जिनका श्री विग्रह सदा भस्म से विभूषित रहता है , भव — सबकी उत्पत्ति के कारण होते हुए भी भव ( संसार ) के नाशक हैं तथा जिनका कभी विनाश नहीं होता , उन भगवान् चंद्रशेखर की मैं शरण लेता हूँ। यमराज मेरा क्या करेगा ? ३।.

जो मतवाले गजराज के चर्म की चादर ओढ़े परम् मनोहर जान पड़ते हैं , ब्रह्मा और विष्णु भी जिनके चरणकमलों की पूजा करते हैं तथा जो देवताओं और सिद्धों की नदी गंगा की तरंगों से भीगी हुई शीतल जटा धारण करते हैं , उन भगवान् चंदरशेखर की मैं शरण लेता हौं। यमराज मेरा क्या करेगा ? ४।.

गेंडुल मरे हुए सर्पराज जिनके कानों में कुण्डल का काम देते हैं , जो वृषभ की सवारी करते हैं , नारद आदि मुनीश्वर जिनके वैभव की स्तुति करते हैं , जो समस्त भुवनों के स्वामी , अंधकासुर का नाश करनेवाले , आश्रितजनों के लिए कल्पवृक्ष के समान और यमराज को भी शांत करनेवाले हैं , उन भगवान् चंदरशेखर की मैं शरण लेता हौं। यमराज मेरा क्या करेगा ? ५।.

जो यक्षराज कुबेर के सखा , भग देवता की आँख फ़ोड़नेवाले और सर्पों के आभूषण धारणकरनेवाले हैं , जिनके श्रीविग्रह के सुंदर वामभाग को गिरिराजकिशोरी उमा ने सुशोभित कर रखा है , कालकूट विष पीने के कारण जिनका कंठ भाग नीले रंग का दिखाई पड़ता है , जो एक हाथमे फरसा और दूसरे लिए रहते हैं , उन भगवान् चंदरशेखर की मैं शरण लेता हौं। यमराज मेरा क्या करेगा ? ६।.

जो जन्म मरण के रोग से ग्रस्त पुरुषों के लिए औषध रूप हैं , आपत्तियों का निवारण और दक्ष यज्ञ का विनाश करनेवाले हैं , सत्व आदि तीनों गुण जिनके स्वरूप हैं , जो तीन नेत्र धारण करते हैं ,भोग और मोक्ष रुपी फल देते तथा सम्पूर्ण पापराशि का संहार करते हैं , उन भगवान् चंदरशेखर की मैं शरण लेता हौं। यमराज मेरा क्या करेगा ? ७।.

जो भक्तों पर दया करनेवाले हैं , अपनी पूजा करने वाले मनुष्यों के लिए अक्षय निधि होते हुए भी जो स्वयं दिगम्बर रहते हैं , जो सब भूतों के स्वामी , परात्पर , अप्रमेय और उपमारहित हैं ; पृथ्वी , जल , आकाश ,अग्नि और चन्द्रमा के द्वारा जिनका श्रीविग्रह सुरक्षित है , उन भगवान् चंदरशेखर की मैं शरण लेता हौं। यमराज मेरा क्या करेगा ? ८।.

जो ब्रह्मरूप से सम्पूर्ण विश्व की सृष्टि करते , फिर विष्णुरूप से सबके पालन में सलंग्न रहते और अंत में सारे प्रपंच का संहार करते हैं , सम्पूर्ण लोकों में जिनका निवास है तथा जो गणेशजी के पार्षदों से घिरकर दिन रात भांति भांति के खेल किया करते हैं , उन भगवान् चंदरशेखर की मैं शरण लेता हौं। यमराज मेरा क्या करेगा ? ९।.

जो मनुष्य भय से पीड़ित हो कर मार्कण्डेय ऋषि के इस स्तोत्र का पाठ शिव के समीप अथवा कहीं पर भी करता है तो भगवान चंद्रशेखर उस मनुष्य को पूर्णायु, आरोग्य , प्रचूर धन और अंत प्रदान करते हैं।।१०।।

महाकाल आपकी मनोकामना पूर्ण करें,….🙏🙏 पंडितपंकज मिश्र ज्योतिष कोलकाता

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *