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पुरुष सूक्तम् ‘ purush suktam.

पुरुष सूक्तम् पुरुष सूक्तम (पुरुष सूक्तम): पुरुष सूक्तम सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला वैदिक संस्कृत भजन है । इसका पाठ लगभग सभी वैदिक अनुष्ठानों और समारोहों में किया जाता है। इसका उपयोग अक्सर मंदिर में विष्णु या नारायण के देवता की पूजा, स्थापना और अग्नि समारोह के दौरान, या संस्कृत साहित्य के दैनिक पाठ के दौरान या किसी के […]

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॥ अथ रूद्र-सूक्तम् ॥

रूद्र-सूक्तम्।।हिन्दु धर्म मे चार वेद – ॠग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्वेद हैं। इन चारों वेदों में ही विभिन्न देवताओं के अनेकों सूक्त है। वैदिक-मन्त्रों के समूह को सूक्त कहते हैं । जिस ॠषि ने भी जिस देवता की मन्त्रों के द्वारा स्तुति की अर्थात् जिस ॠषि को समाधि की अवस्था में जिस भी देवता के

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शिवमहिम्न स्तोत्र . shiv mahimn strota .

शिवमहिम्न स्तोत्र एक अत्यंत ही मनोहर शिव स्तुति है। ईश्वर सबसे बड़ी प्रार्थना में एक है, कृपया इसका प्रसार करके पुण्य प्राप्त करें. शिवभक्त श्री गंधर्वराज पुष्पदंत द्वारा अगाध प्रेमभाव से ओतप्रोत यह शिवस्तोत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है।शिवमहिम्न स्तोत्र में 43 श्लाेक हैं, श्लाेक तथा उनके भावार्थ निम्नांकित हैं–महिम्नः पारं ते परमविदुषो यद्यसदृशी।स्तुतिर्ब्रह्मादीनामपि

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पति एवं पत्नी प्राप्ति हेतु साघना .

पति एवं पत्नी प्राप्ति हेतु साघना ।।श्रेष्ठ वर की प्राप्ति हेतु उपाय : लड़की के माता-पिता आदि कन्या के विवाह के लिये सुयोग्य वर की प्राप्ति के निमित्त प्रयासरत रहते हैं और कभी-कभी अनेक प्रयास करने पर भी वर की तलाश नहीं कर पाते। यदि किसी कन्या के विवाह में किसी भी कारण से अनावश्यक

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अकाल मृत्यु निवारक चंद्रशेखराष्टक।।

अकाल मृत्यु निवारक चंद्रशेखराष्टक।।🌹🌹-शिव पूजा और चंद्रशेखर अष्टकम से जन्म कुंडली के मारक दोष भी टल जाते हैं।🌹🌹-मारक दोष समाप्त करने के लिये लगातार 40 सोमवार तक चंद्रशेखर अष्टकम का पाठ करना चाहिये। अकालमृत्यु निवारक चंद्रशेखराष्टक की रचना,….🌹🌹 महर्षि मृकुंड को जब सन्तान प्राप्ति नही हुई तो उन्होंने भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के

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रामरक्षा स्तोत्र

अस्य श्रीरामरक्षा स्तोत्र मन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः।श्री सीतारामचंद्रो देवता । अनुष्टुप्‌छंदः। सीता शक्तिः।श्रीमान हनुमान्‌कीलकम्‌। श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः ।अथ ध्यानम्‌:ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्‌। वामांकारूढसीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं नानालंकार दीप्तं दधतमुरुजटामंडलं रामचंद्रम ।चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्‌ ।एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्‌॥१॥ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्‌।जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमंडितम्‌ ॥२॥सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरांतकम्‌।स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्‌ ॥३॥रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम्‌।शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः

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गणेश जी स्त्रोत्र

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।। भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायु:कामार्थसिद्धये ।।१ ।। प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् ।। तृतीयं कृष्णपिङ्गगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ।।२ ।। लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च ।। सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ।।३ ।। नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् । एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ।।४ ।। द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं य: पठेन्नर: ।

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