जाने हनुमान चालीसा में कहाँ बताई गई है सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी।
हनुमान चालीसा सैकड़ों साल पहले गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रची गई थी। इसमें तुलसीदासजी ने उस समय में ही बता दिया था कि सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी कितनी है।
हनुमान चालीसा के इस दोहे में है सूर्य-पृथ्वी के बीच की दूरी –
“जुग सहस्त्र जोजन पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।”
इस दोहे का सरल अर्थ यह है कि हनुमानजी ने एक युग सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित भानु यानी सूर्य को मीठा फल समझकर खा लिया था।
ये गणित छिपा है हनुमान चालीसा के दोहे में हनुमानजी ने एक युग सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित भानु यानी सूर्य को मीठा फल समझकर खा लिया था।
एक युग= 12000 वर्ष
एक सहस्त्र= 1000
एक योजन= 8 मील
युग x सहस्त्र x योजन = 12000 x 1000 x 8 मील = 96000000 मील
एक मील = 1.6 किमी
96000000 x 1.6 = 153600000 किमी
इस गणित के आधार गोस्वामी तुलसीदास ने प्राचीन समय में ही बता दिया था कि सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है।
शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी भगवान शंकर के ही अवतार हैं और उन्हें जन्म से ही उन्हें कई दिव्य शक्तियां प्राप्त थीं। हनुमान चालीसा के अनुसार एक समय जब बाल हनुमान खेल रहे थे, तब उन्हें सूर्य ऐसे दिखाई दिया जैसे वह कोई मीठा फल हो। वे तुरंत ही सूर्य तक उड़कर पहुंच गए।
हनुमानजी ने स्वयं का आकार भी इतना विशाल बना लिया कि उन्होंने सूर्य को ही खा लिया। हनुमानजी के मुख में सूर्य के जाते ही पूरी सृष्टि में अंधकार फैल गया। सभी देवी-देवता डर गए। जब देवराज इंद्र को यह मालूम हुआ कि किसी वानर बालक ने सूर्य को खा लिया है तब वे क्रोधित हो गए।
क्रोधित इंद्र हनुमानजी के पास पहुंचे और उन्होंने बाल हनुमान की ठोड़ी पर वज्र से प्रहार कर दिया। इस प्रहार से केसरी नंदन की ठोड़ी कट गई और इसी वजह से वे हनुमान कहलाए। संस्कृत में ठोड़ी को हनु कहा जाता है। हनुमान का एक अर्थ है निरहंकारी या अभिमानरहित। हनु का मतलब हनन करना और मान का मतलब अहंकार। यानी जिसने अपने अहंकार का हनन कर लिया हो।
हमें हनुमान जी से सीखना चाहिए, और समृद्ध जीवन जीने के लिए अपने अहंकार को छोड़ना चाहिए ।। पंडित पंकज मिश्र ज्योतिष।।