यदि “महाभारत” को पढ़ने का समय न भी हो,तो भी इसके नौ सार- सूत्र हमारे जीवन में उपयोगी सिद्ध हो सकते है!
1- संतानों की गलत मांग और हठ पर समय रहते अंकुश नहीं लगाया गया, तो अंत में आप असहाय हो जायेंगे-👉 कौरव
2- आप भले ही कितने बलवान हो लेकिन अधर्म के साथ हो तो, आपकी विद्या, अस्त्र-शस्त्र शक्ति, उच्च स्तरीय पद और वरदान स निष्फल हो जायेंगे- 👉 कर्ण
3- संतानों को इतना महत्वाकांक्षी मत बना दो कि विद्या का दुरुपयोग कर स्वयंनाश कर सर्वनाश को आमंत्रित करे-👉 अश्वत्थामा
4- कभी किसी को ऐसा वचन मत दो कि आपको अधर्मियों के आगे समर्पण करना पड़े-👉 भीष्म पितामह
5- संपत्ति, शक्ति व सत्ता का दुरुपयोग और दुराचारियों का साथ अंत में स्वयंनाश का दर्शन कराता है।👉 दुर्योधन
6- अंध व्यक्ति – अर्थात मुद्रा, मदिरा, अज्ञान, मोह और काम (मृदुला ) अंध व्यक्ति के हाथ में सत्ता भी विनाश की ओर ले जाती है -👉 धृतराष्ट्र
7- यदि व्यक्ति के पास विद्या, विवेक से बँधी हो तो विजय अवश्य मिलती है।👉 अर्जुन
8- हर कार्य में छल, कपट, व प्रपंच रच कर आप हमेशा सफल नहीं हो सकते ।👉 शकुनि
9- यदि आप नीति, धर्म, व कर्म का सफलता पूर्वक पालन करेंगे, तो विश्व की कोई भी शक्ति आपको पराजित नहीं कर सकती – 👉 युधिष्ठिर
बिना हक का जब लेने का मन होता है,वहाँ महाभारत की शुरुआत होती है
जब अपने हक का भी छोड़ देने का मन होता है, वहां रामायण की शुरुआत होती है… सुमति🌹
एक बार किसी ने तुलसी दास जी से पूछा – महाराज! सम्पूर्ण रामायण का सार क्या है? क्या कोई चौपाई ऐसी है जिसे हम सम्पूर्ण रामायण का सार कह सकते हैं?
तुलसी दास जी ने कहा – हाँ है और वह है –
जहां सुमति तह सम्पत्ति नाना, जहां कुमति तहँ विपत्ति आना।
जहां सुमति होती है, वहां हर प्रकार की सम्पत्ति, सुख-सुविधाएं होती हैं और जहां कुमति होती है वहां विपत्ति, दुःख और कष्ट पीछा नहीं छोड़ते।
सुमति थी अयोध्या में!
भाई-भाई में प्रेम था, पिता और पुत्र में प्रेम था, राजा-प्रजा में प्रेम था, सास-बहू में प्रेम था और मालिक-सेवक में प्रेम था तो उजड़ी हुई अयोध्या फिर से बस गई ।
कुमति थी लंका में!
एक भाई ने दूसरे भाई को लात मारकर निकाल दिया। कुमति और अनीति के कारण सोने की लंका राख का ढेर हो गई।
गुरु वाणी में आता है –
इक लख पूत सवा लख नाती, ता रावण घर दीया ना बाती।
पाँच पाण्डवों में सुमति थी तो उन पर कितनी विपदाएं आईं लेकिन अंत में विजय उनकी ही हुई और हस्तिनापुर में उनका राज्य हुआ।
कौरवों में कुमति थी, अनीति थी, अनाचार था, अधर्म था तो उनकी पराजय हुई और सारे भाई मारे गए।
यदि जीवन को सुखी बनाना चाहते हैं तो जीवन में सुमति अपनाओ।
सदैव प्रसन्न रहिये – जो प्राप्त है, पर्याप्त है।
जिसका मन मस्त है – उसके पास समस्त है।।
✍️ पंकज मिश्र।।