यह कुण्डली भारतीय जनता पार्टी की है. इसका जन्म 6 अप्रैल, 1980 को सुबह 11:40 में दिल्ली में हुआ था. आज हम कुण्डली का विश्लेषण नहीं करेंगे. आज हम थोड़ी देर के लिए नास्तिक बनकर ज्योतिष शास्त्र का पोस्टमार्टम करते हैं. पंडित पंकज मिश्र । ज्योतिष कोलकाता ।
प्रश्न तो यही है कि पार्टी कोई प्राणी नहीं है कि हम मान लें कि जब इसका जन्म हुआ तो उस समय के ब्रह्माण्डीय ग्रहों की रश्मियाँ जातक में प्रवेश कर गई और जातक जीवनपर्यन्त उन्हीं ग्रहों के आधीन संचालित होता रहा.
जब पार्टी कोई प्राणी ही नहीं है तो ग्रहों की रश्मियाँ कैसे पार्टी को संचालित कर रही हैं? पार्टी के जन्म समय को हम एक मुहूर्त से अधिक कुछ नहीं मान सकते.
हो सकता कि ये मुहूर्त पार्टी पदाधिकारियों ने किसी योग्य #ज्योतिषी से सलाह लेकर ही निर्धारित किया हो. पर यहाँ प्रश्न यही है कि ये मुहूर्त अन्तोगत्वा मनुष्यों द्वारा ही निर्धारित की गई, फिर ईश्वर का दैवीय विधान मनुष्य द्वारा निर्धारित मुहूर्त के आधार पर कैसे संचालित हो सकता है?
जो लोग नास्तिक हैं और ज्योतिष तथा ईश्वर में विश्वास नहीं करते हैं, उनका विरोध ज्योतिष के फलित पक्ष से है.
दयानन्द सरस्वती जी को भी गणित ज्योतिष से कोई समस्या नहीं थी, उन्हें समस्या थी इसके फलित पक्ष पर. उनका यही मानना था कि उतने दूर घूम रहे ग्रह धरती के जीवों को भला कैसे प्रभावित कर सकते हैं? पंकज
आज हम भी फलित ज्योतिष को बिलकुल बकवास मानते हुए भाजपा की #जन्मकुंडली बनाते है ।
भाजपा की कुण्डली में क्या अच्छे और बुरे योग हैं, हम उस पर आज बिलकुल बात नहीं करेंगे ।
हम आज बात करेंगे एक ऐसे सूत्र की, जिसे एक साधारण व्यक्ति भी सहजता से समझ सके. कुण्डली में जब कोई दो ग्रह एक दूसरे के राशि में बैठे हों तो इसे राशि “परिवर्तन योग” माना जाता है. ये एक दूसरे के घर में बैठे ग्रह प्रबल राज योग कारक या प्रबल दैन्य योग कारक हो जाते हैं. इनकी जब दशा-अन्तर्दशा आयेगी तो ये किसी कीमत पर सहज रूप से नहीं गुजरेगी, ये उस समय विशेष में तहलका मचा करके ही मानेगी.
भाजपा के कुण्डली में सूर्य और गुरु का परिवर्तन योग है. सूर्य तीसरे घर का स्वामी होकर दसवें घर में बैठा है और गुरु दसवें का स्वामी होकर तीसरे में बैठा है. यह योग प्रथमदृष्टया ही प्रबल राजयोग कारक है. तृतीय भाव पराक्रम स्थान का स्वामी सूर्य है जो सरकार सत्ता का प्रवल कारक है सुर्य दशम भाव मे बैठे है दशम भाव सत्ता का है, और दशम भाव के स्वामी गुरु सुर्य के घर पराक्रम स्थान मे ।
आज हम इसके भी विश्लेषण पर नहीं जायेंगे. आज हम सिर्फ इसके टाइमिंग पर बात करेंगे. भाजपा की सूर्य की महादशा 9 मई, 2012 से शुरु हुई है और ये 9 मई 2018 को समाप्त हो गई । और ये समय सुर्य महादशा का था ।
किसी अन्य ग्रह की दशा ने #भाजपा को वो सम्मान नहीं दिलाया जो सम्मान सफलता सूर्य देव ने अपनी महादशा में दिलाया. उसमें भी 16 अप्रैल, 2014 से लेकर 4 फरवरी, 2015 तक मात्र 9 महिना 20 दिन का समय ऐसा था जिसमें सूर्य की महादशा में गुरु की अन्तर्दशा चल रही थी.
यही वो परिवर्तन योग वाला प्रबल राजयोगकारक समय था जब भाजपा इतनी मजबूत स्थिति में केन्द्र की सत्ता में आई. हम चाह कर भी इसे मात्र संयोग नहीं मान सकते.
#बीजेपी जो कभी 2 सिट वाली पार्टी थी वो विश्व की सवसे बडी पार्टी बन गई । ये आप खुद बिचार करे,
इसका कारण यह है कि सम्पूर्ण विंशोत्तरी दशा 120 वर्ष का होता है और इतने लम्बे काल खण्ड में आपको मात्र 9 महिना 20 दिन का सीमित समय राजयोग के फलीत होने का मिलता है और देश की सारी परिस्थितियाँ उस राजयोग के फलीत होने के अनुकूल बन जाती है कैसे?
इसे हम मात्र संयोग कहकर टाल नहीं सकतें क्योंकि एक संयोग बेतरतीब हो सकती है पर ये घटनाएं संयोगों की एक सुसज्जित श्रृंखला है. इसके पीछे प्रकृति की एक अदृश्य फोर्स काम कर रही है.
जब बच्चा जन्म लेता है तब ही नहीं, बल्कि प्रत्येक घटना या सम्बंध का जब जन्म होता है तो उसी समय विशेष के गर्भ में उस घटना या सम्बंध की नियति निर्धारित हो जाती है. #Astrologer_pankaj_ Mishra #kolkata .
पहले मैं #मुहूर्त को इसलिए तवज्जो नहीं देता था कि इसका निर्धारण तो हमलोग के हाथ में है, हमारे अनुसार प्रकृति कैसे गति कर सकती है? लेकिन बाद में समझ आया कि जिसे मैं सोच रहा था कि मेरे हाथ में है वो भी मेरे हाथ में नहीं था.#pankaj
यही तो उस अदृश्य की लीला है कि पर्दे के पीछे से सिर्फ वो ही खेल रहा है और हम यहाँ समझते हैं कि सबकुछ हमारे द्वारा हो रहा है. जिसे प्रकृति हमसे जबरस्ती कराती है वो भी हमें लगता है कि हम अपनी मर्जी से कर रहे हैं.
. भाजपा की कुण्डली में सुर्य महादशा समाप्त हो चुकी है.
ऊसके बाद चंद्र की महादशा मे ऐक के बाद ऐक कई राज्य से बाहर निकल आए चार महीने के अंदर पाच राज्य खो दिया क्योंकि चंद्रमा निच का छठे भाव मे बैठा है । चन्द्रमा स्त्री कारक ग्रह है बीजेपी को महिला राजनेता से करा चुनौती का सामना करना पड़ा है और आगे भी बिपक्ष में , और पार्टी के अन्दर भी महिला राजनेताओं के कारण परेशानी उलझन बहुत ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत। मोदी जी का भी बृश्चिक राशी है । सभी जानते है की मोदी जी कितने कठिनाइयों परेशानियों आरोपों के बीच लर कर तरह तरह के चक्रव्यूह का सामना करना पड़ा है, कांटों से भरा तख्तोताज मिला है , जहां इतना दर्द हो चैन से निंद सोना असंभव है।। विशेष नहीं लिखूंगा आप लोग खुद देखे और ज्योतिष शास्त्र को मजाक अंधविश्वास बताने वाले अज्ञानी जिसे इस विद्या के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं इधर उधर से सुनकर मजाक अंधविश्वास बताने वाले के लिए प्रमाण है।।
मार्च 2024 के बाद अगर चुनाव हों तो बीजेपी को लाभ मिलेगा, पर कठिन डगर है पश्चिम बंगाल के चुनाव में भी देख चुके हैं कि सारे के सारे न्यूज चैनल के एगजिट पोल गलत साबित हुए हैं, जहा महिला से टक्कर हो एक गलती बहुत ज्यादा भारी पड़ी है ।।
बहुत संक्षिप्त विवरण ।
सूर्य देव! पिछले छ: सालों की अपनी महादशा में आपने भगवा ध्वज गुजरात से त्रिपुरा तक लहरा कर, अपने पौरुष से हताश हिन्दू जाति का स्वाभिमान और विश्वास जगाया । समय होत बलवान । #पंडितपंकजमिश्र #ज्योतिष _कोलकता ।।